कौन किसे काटेगा - 372
कौन किसे काटेगा
दर्जी दुकान के मालिक सुभान की मोबाइल उनके बस पर चढ़ते हुवे ही बजने लगी . अपने आप को किसी तरह संभालते हुवे उन्होने मोबाइल को कान में लगा ली . किसी के बात करने की आवाज़ सुनायी दे रही थी .
भीड़ कुछ ज्यादा होने के कारण वे ऊंची आवाज़ में बोलने लगे , " देख मुकद्दर , बात ज़रा गंभीर हो गयी है , वो लोग चाहते हैं की काम आज शाम तक पूरी हो जाना चाहिये , मैं वहाँ जल्द पहुँच रहां हूँ , तू हाथ काट कर रख ,मैं आ कर गला काट लूंगा " .
इसे सुनने के ही देरी थी , अगले बस स्टॉप पर सारा बस खाली हो गया !!! .
The names SHUBHAAN AND MUKADDAR have a special connect with me . These are names of our Tailor and His Assistant who were the dress makers for both myself and Appa during the many long years of our stay at KHARAGPUR IN W BENGAL and they had been my outfitter from the time I was a small boy in my Shorts to my late teens in 20 inches Bell Bottoms .
Comments
Post a Comment