ISAY PADHKAR ROYEY YAA HASEN -369
Isay Padhkar Hasen Yaa Royen
ये कहानी ऐक बुढिये की है जो अपने पोते के साथ ऐक गाँव में रहा करती थी . पिछले कई दिनों से बुढ़िया अपने पाँव के ऐक घाव से बहुत परेशान थी .
बुढिये की इस हालत को पोते से देखा ना गया . उसने अपने सभी जान पेहचान वालों से सलाह लेने के बाद अपने सबसे करीब के दोस्त की सलाह को आज़माने का फैसला लिया . उसके दोस्त की सलाह ये थी की पास के सागर के पानी से पाँव धोने पर घाव जल्द ही ठीक हो जायेगी . सागर के पानी की नमक के साथ की मिलावट घाव को जल्द ठीक कर देगी .
पोता खुशी खुशी घर आ गया . कुछ देर बाद उसे ऐक बात सताने लगी . सागर की पानी आम जनों की अमानत है . उसे किसी से पूछे बिना घर लाना ठीक नहीं होगा . उसने फैसला किया की वो गाँव के मुखिये को चिट्टी लिख कर अनुमति लेना ठीक रहेगा .
अब गाँव के मुखिये को इस तरह की बातों से बिल्कुल ना वाकिफ होने के कारण उसने उस चिट्टी को उस इलाके के विधायक को भेज दिया .
विधायक फ़ौरन सोचने लगा , भेजने वाला कौन से दल का है , अपने या उन लोगों का . इसे पता लगाना मुश्किल होने के कारण उसने उसे अपने मंत्री को भेज दिया .
राज्य मंत्री , सोचने लगे , सागर का पानी मध्य मंत्री के हिस्से में आता है , इस लिये इसे उनके पास भेजना ही उचित होगा .
मध्य मंत्री भी हैरान में पढ़ गये . सागर का पानी अंतर राष्ट्रीय माईने रखती है . सागर का ऐक तट भारत में है तो दूसरा और किसी देश में . इस लिये इसे संयुक्त राष्ट्र मंडल भेजकर उनसे से राय मांगना ही उचित होगा .
संयुक्त राष्ट्र मंडल ने कई दिनों के बाद अपना फैसला सुनाया . बुढ़िया सागर के पानी का इस्तेमाल कर सकती है .
लेकिन अफ़सोस की बात , बुढ़िये के गुज़रे हुवे आज चालीस दिन हो चुके हैं .
इसे पढ़ते समय आप ज़रूर हसिये
लेकिन
अपने यहां की हालत के बारे में ज़रा सोचिये .
Not a good one, this. Unnecessarily goes on and on
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