ABHI TO MAIN JAWAAN HOON - 230
THIS PIECE WAS WRITTEN EXACTLY 5 YEARS
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THE TABLE NOW SEEMS TO HAVE TURNED THE OTHER WAY , WITH SELF AND BETTER HALF HERE AND MY CHILDREN IN CANADA
अभी तो मैं जवान हूँ
सुबह के ४ बजने वाले हैं ी आज से ठीक ऐक हफ्ते बाद
मैं ६५ साल का होने वाला हूँ ी मेरी श्रीमती को कनाडा गये हुवे १० दिन बीत गये हैं ी वो हमारी बेटी , दामाद ओर पोता पोती के साथ कुछ समय बिताने गयी हैं ी करीब ३५ सालों बाद यह पेहली दफा है जब इतने दिन हम यहां अकेले में हैं ी
मैं उनकी गैर हाज़री मेहसूस करने लगा हूँ ी कई छोटी छोटी बातें याद आने लगे हैं ी कुछ कड़वे और कुछ ज्यादातर मीठे ी कड़वे इस लिये की ३५ सालों में शायद ही ऐसा कोई दिन होगा जिसमे हमारी रायें कई जगहों में ना मिलते हों ी
फिर भी अच्छे दिनों के तादात कई गुना ज्यादा हैं और उनकी यादें अब सताने लगे हैं ी
मैं यहां अकेले पस्चिमी घाटों के बिलकुल पास , हरियाली खेतों से घिरे हुऐ इस सूंदर गाँव के एक घर में गुज़ार रहा हूँ ी सूंदर इस लिये क्योंकि हमारा घर आम , अमरुद , कला जामुन और नारियल के ऊंचे पेड़ों के बीच बिलकुल हरियाली जगह में बसी है ी साल के ९ महीनों में घर की चारों ओर सूरज की किरणों का ज़मीन पर गिरना ना मुमकिन है ी
अब आप सब ये सोचते होंगे की मैं इन सब बातों का ज़िक्र यहां क्यों कर रहा हूँ ?
मन , दिल या दिमाग जिसे भी आप ठीक समझे बड़ी गज़ब की चीज़ है ी कभी वो रिजायना तो कभी लंदन या टोरंटो या खरगपुर में बिना टिकट लिये सैर कर आती है ी हमारे वैज्ञानिकों ने आज तक इस से ज्यादा रफ़्तार से जाने वाली चीज़ नहीं बनायी है ी
वोः पुराने हिन्दी फिल्मों के गाने
" अभी तो मैं जवान हूँ
याद किया दिल ने कहाँ हो तुम
दुखी मन मेरे , सुन मेरा केहना
या दिल कि सुनो दुनिया वालों "
ये सब गाने बार बार याद
आने लगते हैं ,
इन सब चीज़ों के बावजूद हमें अपने श्रीमती के वापस आने की इंतज़ार है ी
इसे हम ठीक ५ साल पेहले लिखे थे , आज हम दोनों इस कोविड की महामारी के दिनों में , हमारे गाँव के इस घर में अकेले पन में गुज़ार रहे है ी हमारे बच्चोँ का भी लग bhag यही हाल कनाडा में है ी
हम सब की प्रार्थना है की जल्द से जल्द हम पर दया करें
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