Simaranjeet and His Prayers - 430
सिमरणजीत की कई सालों की तपस्या के बाद भगवान् ने खुश होकर उसको दर्शन दी और पूछा , हम आप से खुश हुवे , मांगो क्या मांगना चाहते हो
सिमरणजीत , बहुत देर तक सोचकर जवाब दिया , भगवन , और क्या पूछे आपसे , मरण से मुक्ती मिले तो बड़ी कृपा होगी
भगवान् कई देर सोचने के बाद कहा , ये तो ना मुमकिन है , लेकिन अगर तुम यही चाहते हो तो ठीक है , हम आपको मरण से मुक्ती देतें हैं
सिमरणजीत बहुत खुश होकर अपनी घर की ओर जाने लगा .
थोड़ी दूर चलने के बाद उसे ऐक भिकारी मिला . खुशी से सिमरणजीत ने उसे १०० रुपैये दिये
भिकारी ने कहा , जुग जुग जियो बेटा , क्या नाम है आपका , मै भगवान् से आप के लिये दुआ मांगूंगा
सिमरणजीत ने कहा , ज़रूर कीजिये मेरा नाम
सी-------जीत , सी-------जीत , बीच में मरण गायब था और वो बोल नहीं पा रहा था
अगर सिमरणजीत चालाक था , तो भगवान् की बात तो कुछ और ही है !!! .
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