शेकर की याद में - 715




मैने अपने पढ़ायी के तीन साल राघव मामा , जानकी चित्ती और शेकर के साथ बिताई थी

मामा और चित्ती कह कर बुलाना अजीब लगने के बावजूद हम उन्हें इसी तरह से जाना करते थे , ये क्यों या कैसे हुवा सिर्फ भगवान् ही जाने 

मेरे और शेकर के बीच उम्र का फ़ासला कुछ  इस तरह  था कि कभी हम बड़े भाई और छोटे भाई का रिश्ता निभाते थे तो कभी जिगरी दोस्त का , कब , कहाँ कौन किस किरदार को  निभाते थे वो साथ में रेहने वालों पर ही निर्भर करता था 

इसे  पढ़ते समय कईयों को अपने द्वारा की गयी बदमाशी या शरारत याद आयी होगी 

हम दोनों भी कोई साधू या संत तो थे नहीं . हमने भी अपने हुस्से की बदमाशी , शरारत और हरकतें की थी . ऐक वाक्या फ़ौरन याद आता है.

 सिटिलाइट सिनेमा घर में बिना  किसी  को बताये आनंद फ़िल्म देखने के बाद , हम दोनों पर राघव मामा का ग़ुस्सा अब तक याद है !!

शायद ही किसी ने राघव मामा को इस तरह  देखा होगा .

रही बात शेकर की , मेरे अम्बासमुद्रम में नौकरी में लगने के बाद , वो भी अपने नौकरी के कारण अम्बासमुद्रम आया ज़ाया करता था 

चाहे वो फ़िल्म संगीत हो या शास्त्रीय संगीत या पश्चिम संगीत ही क्यों ना हो  उसको सभी में रूची और जानकारी थी .

दुनिया में शायद ही कोई ऐसा विषय होगा जिसके बारे में उसे कुछ पता ना हो 

चाहे बुज़ुर्ग हो , नौ जवान हो  या बच्चा ही क्यों ना हो  उन सब के साथ समय बिताना उसे बहुत पसंद था 

शेषाद्री परिवार वृक्ष बनने और स्थापित करने का श्रेय सिर्फ़ उसे ही जाता है 

आज अगर ड़ेढ़ सौ से ज्यादा सदस्य  ऐक  दूसरे के साथ सम्पर्क में हैं तो वो सिर्फ़ शेकर के कारण है .

ये वृक्ष आज यहाँ भली भाँती जड़  फैलाकर दुनिया के कोने कोने में फैला हुवा है .

शेषाद्री परिवार का खून का रिशता आज चारों ओर फैला हुवा है!!

ये अलग बात है की इन डेढ़ सौ से ज्यादा लोग ना आपस में कभी मिलें हैं या दूरी के कारण आने वाले दिनों में ये कभी मिलने वाले हैं  , इस प्रयास  को बीज बोकर  , उसमे पानी  परोसकर उसे ऐक वृक्ष बना दिया है परिवार के  बाक़ी सदस्यों ने .

   जैसे  मैने पहले भी कहा था , बहुत कम लोगों के नसीब में उनके गुज़रने के बाद इतनी सारी अच्छी बातें कही , लिखी या बोली जाती है .

शेकर वाकई खुश नसीब है , भगवान् शायद उसे और बेहतरीन  या हसीन जगह दिखना चाहतें  है  , हम भी इसी की प्रार्थना करते हैं .

PS : THIS IS AN EDITED VERSION OF MY EARLIER WHATSAPP POST WHICH I THOUGHT WILL BE MORE APPROPRIATE NOW.



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