अपने लिये जियो औरों के लिये नहीं - 732
आप गाड़ी चला रहें हैं और वो भी नेशनल हाईवे पर .
आराम से ७० किमी की रफ़्तार से जाते वक़्त पीछे किसी के हॉर्न बजाने के आवाज़ सुनायी देती है.
रियर व्यू मिरर से आपने ऐक आलीशान गाड़ी को ऐक नौजवान को चलाते हुवे देखा.
साफ़ ज़ाहिर हो रहा था कि वो आप से आगे जाना चाहता है.
आप को ये बात अच्छी नहीं लग रही थी.
आपने अपनी गाड़ी की रफ़्तार ७० से ८० किमी तक बढ़ायी.
देखते ही देखते वो भी आप की बराबरी में आ गया .
आप भी किसी से कम नही थे, आपने अपनी गाड़ी की रफ़्तार १०० किमी पर पहुँचायी .
इसी बीच मूसलाधार बारिश भी शुरू हो चुकी थी.
नौजवान अपनी गाड़ी को ११० किलोमीटर की रफ़्तार से ऐक मुस्कराहट के साथ आगे निकल गया .
गुस्से के साथ आपने भी अपनी गाड़ी को १२० किलोमीटर की रफ़्तार से जाने कि कोशिश की.
धीरे से आपको अपनी नालायकपन समझ आने लगी.
मेरी गाड़ी को मैं नहीं पर वो चला रहा था .
लोग अक्सर अपनी ज़िंदगी इसी तरह गुज़ारते हैं , अपनी ख़ुद की जरूरतों को छोड़ कर दूसरों की ज़िंदगी की तरह जीना चाहते हैं.
इस से कई जीती हुई चीज़ों को भी हार मानकर हाथ से निकलते हुवे देखना पड़ता है .
अपनी ज़िंदगी अपने आप के लिये जियो दूसरों के लिये नही .
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