RAJ NEETI - RAJYA NEETI - 756
ऐक गांव में ऐक पोता , रवि अपनी दादी के साथ रहा करता था ।दादी अपनी पांव पर चोट लगने के कारण काफी परेशान थी । रवि के कई कोशिशों के बावजूद इसका कोई हल नहीं निकल पाया x।
ऐक दिन रवि के दोस्त प्रवीण ने दादी के दर्द को दूर करने की ऐक आसान सा तरीका बताया । उसने सुझाव दी कि हर रोज सुबह समुद्र के पानी से घाव धोने पर इसका इलाज मिल जायेगा और पीड़ा जल्द दूर हो जाएगी
इससे अच्छा और कोई दूसरा रास्ता ना होने के कारण रवि ने इस सुझाव को मान लिया ।
रही बात समुद्र के पानी की , ये आम आदमी की संपत्ति होने के कारण उसने गांव के मुखिये को ऐक चिठ्ठी लिखी और समुद्र के पानी को इस्तेमाल करने की उनसे राज़ी मांगी ।
मुखिया जी परेशान हो गये, ये क्या आपत्ति आ गई है, इसके पहले उसके पास इस तरह किसी ने भी मांग नही रखी थी । उसने फैसला लिया , मुझे इसे तहसीलदार के पास भेज देना ही ठीक या उचित होगा ।
तहसीलदार बहुत देर सोचने के बाद , मुझे क्या लेना , विपक्ष वाले मुझसे लड़ पड़ेंगे , बेहतर इसी में होगा अगर मैं इसे जिला अध्यक्ष के पास भेज दूं ।
बात पहुंची जिला अध्यक्ष के पास , उसने सोचा , चुनाव आने वाली है , ना जाने कौन नालायक राज करने आयेगा , इसे मुख्य मंत्री के पास भेज देने के सिवाय और कोई रास्ता नही है ।
मुख्य मंत्री अपने मंत्री मंडल से सलाह के बाद , लोगों का क्या भरोसा , अगली चुनाव के बाद हमारी सरकार बने या ना बने, बेहतर इसी में होगा की इस को प्रधान मंत्री या जल विकास मंत्री के पास भेज दिया जाना ही उचित होगा ।
प्रधान मंत्री सोचे , यह तो ऐक बड़ी गंभीर और अंतरराष्ट्रीय मामला है , समुद्र की इस पार हमारी सीमा में है और दूसरी तरफ किसी और मुल्क की सीमा पर है , इसे संयुक्त राष्ट्र में भेजकर फैसला लेना ही उचित होगा ।
वहां पर कई दिनों के बेहस के बाद ये निर्णय लिया गया कि इसी में सबकी भलाई होगी कि रवि के दादी को समुद्र के पानी के इस्तमाल से रोक दिया जाय ।
इस निर्माण को रवि तक पहुंचने में काफी देर हो चुकी है ।
आज दादी जी के गुजरे हुवे चालीसवे दिन की अवसर चल रही है !!!!!
बहुत ही देर लग गई !! बनी रहे राज नीति और राज्य नीति !!!
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