सुनहरी यादें ; Evergreen Memories - 785
EVERGREEN MEMORIES - सुनहरी यादें
कुछ ही दिनों पहले उद्योगपति आनंद महिंद्रा द्वारा आनंद फिल्म के बारे में उनसे लिखी गई कुछ यादें देखने में आई । ये यादें ५५ साल पहले जब वे सिर्फ १५ साल के उम्र के थे , उनकी जिक्र कर रहे थे । उनकी यादों ने हमे भी इस लाजवाब फिल्म की याद दिलाने लगी ।
उम्र की पाबंदी के कारण हमारी यादगाश कुछ कम होने के बावजूद , इस फिल्म की यादें अबतक बिल्कुल ठीक है। इस फिल्म को हमने अपनी २१ वे उम्र में १५ मार्च १९७१ में हाजी अली , उस समय के शिवसागर एस्टेट के पास वाले लोटस थियेटर में देखी थी। हम चार sasmira के दोस्त मुकुलेश , परशु , वर्मा और मै इस फिल्म को देखने गए थे ।
हमे मुंबई गये कई साल गुजर गये है । इस थियेटर के अब के हाल के बारे में हमे नहीं पता ! मुमकिन है , वो सुपर मॉल या ४० माले के घर में बदल गया होगा ।
राजेश खन्ना उस समय के सुपर स्टार थे , और अमिताभ बच्चन भी बॉलीवुड में अपनी खुद की जगह बनाना शुरू कर चुके थे ।
आनंद फिल्म मुझसे देखी गई फिल्मों में अपनी ही येक जगह रखती है । इस फिल्म को शायद मैने सबसे ज्यादा बार देखी होगी । आनंद के किरदार में राजेश खन्ना , भास्कर बनर्जी के किरदार में अमिताभ ;जानी वॉकर ईसा भाई सूरतवाला , ललिता पवार देसा मैडम , रमेश डियो डॉ कुलकर्णी सबने इस फिल्म में लाजवाब अदाकारी प्रस्तुत की थी ।
इन सब के अलावा हृषिदा का निर्देशन , सलिल दा का संगीत , गुलज़ार के बोल जो आज ५५ सालों के बाद भी आज तक हमारी यादों में अपनी जगह बनाये हुवे हैं ।
"बाबू मोशाय जिंदगी बड़ी होनी चाहिये , लंबी नहीं "
" जिंदगी भी अजीब सी चीज है "
" जब तक जिंदा हूं , तो मरा नहीं और अगर मर गया तो मैं ही नहीं "
आखिर में टेप रिकॉर्डर वाला दृश्य , कभी ना दूर होने वाला दृश्य बनकर हम सब की यादों में सदा रहने लगा है
सुनहरी यादें ।
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