DIWALI 60 YEARS BACK - 728
६० साल के पहले की दिवाली
साठ साल पहले दिवाली कैसे मनायी जाती थी , उसे आज के बच्चे सुन कर हैरान हो जायेंगे
लाल पटाके के पाकिट से येक-येक पटाका अलग करके उसे येक येक करके जलाना या फोड़ना
गली गली में जाकर बिना जले पटाकों को इखट्टा करना
रहिस घर के लड़कों को पटाके जलाते देख उसमे अपनी खुशी ढूँढना
चुन कर लाये गये ऐटम और लक्ष्मी बॉम्ब को फोड़ना
पटाके वाले हाथ को बिना धोये, खाने पर बैठने पर माँ के हाथ से मार खाना
बचे कुचे पटाकों को येक काग़ज़ में जमा करके उसे जलाते वक़्त चोट या घाव हासिल करना
पिताजी के पटाके ख़रीद कर लाने के इंतेज़ार में बार बार दरवाज़े पर जाकर देखना और डाँट खाना
भाईसाहब या बेहनजी , “जरा सम्भाल कर जाइयो “ बॉम फटने वाली है , केह कर डराना
नये कपड़ों में अपने आप को देव आनंद या शम्मी कपूर समझकर रोग जमाना
१० दिन या २० दिन पहलें से ही दिवाली के शुभ दिन का इंतेज़ार करना
दादा दादी , चाचा चाची , मामा मामी , भैया भाभी सभी से ज़िद करके पैसे माँगकर दिवाली पटाकों के लिए पैसे जमा करना
दिवाली के छुट्टियों के बाद , स्कूल के पहिले दिन उस साल की दिवाली के नयी कपड़ों में स्कूल जाना
माँ के छुपाये गये गुलाब जामुन को ढूंडकर उसे दोस्तों के साथ खाना
टेरेस में जाकर शेहर के हर जगह से रॉकेट और आतिशबाज़ी का मज़ा लेना
६० सालो के बाद अब दिवाली बिलकुल बदल चुकी है , बड़े अपने शराब में डूबे हुवें हैं और बच्चे या नौजवान टीवी में सिनेमा देख कर दिवाली मनाते हैं .
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